10 जनवरी 2010

...तो इस तरह शुरू हुआ बच्चों के गायब होने का सिलसिला

अब से करीब पांच साल पहले 20 जून 2005 की दोपहर की बात है। आठ साल की बच्ची ज्योति खेलने के लिए निठारी के पानी टंकी के पास गई। लेकिन वह दोबारा घर नहीं लौटी। इससे पहले भी दो मासूम बच्चियां पानी टंकी के पास से ही गायब हुईं थी। ज्योति के पिता झब्बू व अन्य परिजनों ने उसकी बहुत तलाश की। लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। इसके कुछ दिनों बाद ही छह साल का हर्ष भी पानी टंकी के पास से गायब हो गया। ज्योति की तरह हर्ष का भी कुछ पता नहीं चला। इस तरह लगातार डेढ़ साल तक यह सिलसिला चलता रहा। एक के बाद बच्चे गायब होते रहे। लोग अपने बच्चों को पानी टंकी के पास भेजने से डरने लगे क्योंकि यहीं से बच्चे गायब हो जाते थे। पुलिस भी पहले इसे महज इत्तेफाक समझती रही। लेकिन जब एक दर्जन से ज्यादा बच्चे गायब हुए तो पुलिस को इसके पीछे कुछ गहरी साजिश नजर आई। पुलिस टीम को इसके पीछे बच्चों को गायब कर उन्हें देह व्यापार के धंधे में धकेलने वाले बेडिय़ा गिरोह पर शक हुआ। पुलिस की अलग-अलग टीमों ने एनसीआर के अलावा, मुंबई, आगरा, बिहार के कई जिलों समेत देश भर में जगह-जगह चक्कर लगाए। लेकिन कोई खास सुराग नहीं मिला। मिलता भी कैसे। पुलिस देश भर में चक्कर लगाती रही जबकि सुराग निठारी में मौजूद था।

कोई टिप्पणी नहीं:

मीडिया प्रेशर में मालिक व नौकर को बराबर को आरोपी बनाया गया

निठारी कांड के दौरान प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में लगातार हैवानियत, नर पिशाच जैसे शब्दों का प्रयोग मालिक व नौकर के लिए प्रयोग किया जा रह...