03 मार्च 2019

मीडिया प्रेशर में मालिक व नौकर को बराबर को आरोपी बनाया गया

निठारी कांड के दौरान प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में लगातार हैवानियत, नर पिशाच जैसे शब्दों का प्रयोग मालिक व नौकर के लिए प्रयोग किया जा रहा है। मैं भी कर रहा था। कोठी का मालिक अय्याशी के लिए लड़कियों को बुलाता था और मारने के लिए नौकर को देने की खबर चलती थी। एक चैनल पर तो दोनों को तांत्रिक बनाकर दिखाया गया था कि कैसे बच्चों के मांस को भूनकर खाते थे। खैर, कुल मिलाकर मीडिया का जबर्दस्त प्रेशर था। ऐसे में पुलिस अगर पंधेर को केवल इतना नौकर की साजिश में शामिल होने और कोठी में इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद लापरवाही बरतने का आरोपी बनाती तो जबर्दस्त विरोध होने के आसार थे। इसलिए आनन-फानन में लखनऊ से ही पुलिस अधिकारियों ने दोनों को एक जैसा ही आरोपी बनाने का आदेश दिया। यह सुनकर जांच टीम के कुछ पुलिसकर्मियों ने किनारा करने की भी सोची। लेकिन उनकी मजबूरी थी। यह बात खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा था।
इस बारे में एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि जब कभी इस तरह का प्रेशर होता है कि पुलिस जानते हुए भी निर्दोष को फंसा देती हैं। अगर वह सही है और साक्ष्य उसके खिलाफ नहीं मिलते हैं तो छूट जाएगा। लेकिन गलती वश किसी दोषी को छोड़ दिया तो तुरंत ठीकरा फोड़ दिया जाता है।

नोएडा पुलिस की केस डायरी में लिखा है-

मैं यहां पर नोएडा पुलिस की केस डायरी में आरती मामले से संबंधित नौकर सुरेंद्र कोली के कबूलनामे की रिपोर्ट दे रहा हूं। केस डायरी में लिखी हुई एक-एक लाइन, शब्दश:-

''दिनांक 25 सितंबर 2006 को एक गंजी लड़की आरती को कोठी के सामने से जाते समय इशारा कर अंदर बुलाया और मोनिंदर सिंह के हवाले कर दिया। उसने बुरा काम किया और उसके बेहोश होने पर मुझसे ठिकाने लगाने को कहा। मैने भी उससे बुरा काम किया और उसका गला काटकर सिर एक पन्नी में व धड़ को एक बोरी व प्लास्टिक में भर दिया और रात्रि के समय मौका देखकर सिर को कोठी के पीछे गैलरी में व धड़ को कोठी के सामने नाले में फेंक दिया था

दोनों आरोपियों पर लगाई गई धाराएं (नोएडा पुलिस के रेकॉर्ड से)

आईपीसी की धारा-
302 - हत्या
364 - अपहरण
376 - बलात्कार
201 - सबूत मिटाना
404 - घर में शव को छिपाना
120 बी- साजिश रचना

लापरवाही का आरोप, घर में शव को छिपाने का आरोप बनता है पंधेर पर
घर में हत्या, बलात्कार और शव को छिपाने जैसा अपराध हो रहा हो और मालिक को भनक तक नहीं लगे। ऐसा नहीं हो सकता। शायद ही किसी को इस पर यकीन हो। लेकिन अगर ऐसा तो यह दुनिया की सबसे बड़ी लापरवाही है। इस लापरवाही की सजा भी नौकर से कम नहीं मिलनी चाहिए। इसकी सजा भी फांसी हो। ये बात खुद पुलिस अधिकारी भी स्वीकार करते हैं। लेकिन पंधेर पर मासूम बच्चियों को घर में बुलाने और उनके साथ रेप करने के बाद नौकर को सौंप देने की बात सरासर बेबुनियाद है। इससे भी सभी पुलिस अधिकारी इत्तफाक रखते हैं।

मीडिया प्रेशर में मालिक व नौकर को बराबर को आरोपी बनाया गया

निठारी कांड के दौरान प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में लगातार हैवानियत, नर पिशाच जैसे शब्दों का प्रयोग मालिक व नौकर के लिए प्रयोग किया जा रह...