10 जनवरी 2010

नपुंसक है सुरेंद्र कोली

सुरेंद्र कोली नपुंसक है। मेडिकल परीक्षण में इस बात की पुष्टि हो चुकी है। उसकी शादी भी हुई है। लेकिन इसी वजह से वह अपनी बीवी को घर पर छोड़कर बाहर रहता था। उसने पूछताछ के दौरान यह बात स्वीकार की थी। यह भी बताया कि वह पास के ही एक मेडिकल स्टोर से उत्तेजित करने वाली दवाइयां भी खरीद कर लाता था। दवाइयों का सेवन करने के बाद वह घर के बाहर से गुजर रही लड़कियों को किसी न किसी बहाने घर में बुला लेता था। कभी टॉफी का लालच देता था तो कभी किसी और चीज का। मासूम बच्चों का क्या पता था कि टॉफी के बदले उन्हें मौत मिलेगी। वह भी वीभत्स। चूंकि बच्चों में लड़के और लड़कियों को दूर से देखकर पहचान करना आसान नहीं होता था। ऐसे में जब उत्तेजक दवाई का सेवन किया हुआ शख्स और नहीं पहचान पाता। इसलिए वह कम उम्र के लड़कों को भी लड़की समझकर कोठी में बुला लेता था। जबरन कपड़े निकालने पर जब उसे पता चलता था कि वह लड़का है तब वह आगबबूला हो जाता था। लड़का होने की वजह से वह छोड़ भी नहीं सकता था। क्योंकि उसकी पोल खुल जाती। इसलिए वह लड़कों को भी मार डालता था। इसके बाद शव के टुकड़े-टुकड़े कर रात होने का इंतजार करता था। रात होते ही धड़ को कोठी के पीछे जबकि अन्य हिस्से को सामने के नाले में बहा देता था।

नेक्रोफिलिया जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित है कोली

नेक्रोफिलिया, यह ऐसी बीमारी है जिसमें इंसान शव के साथ सेक्स करता है। दरअसल, उसे इस बात का डर रहता है कि महिला उसका विरोध करेगी। वह उसे संतुष्ट नहीं कर पाएगा। यह बात उसके दिमाग में सालों से रहती है। वह कोशिश भी करता है। लेकिन असफल होता है। ऐसे में वह इस कदर मानसिक रूप से विकृत हो जाता है कि शव के साथ ही सेक्स करता है। ऐसा वह आत्म संतुष्टी के लिए करता है।
नेक्रोफिलिया (necrophilia) ग्रीक शब्द से उभरा है। दरअसल, यह दो शब्दों का मेल है। नेक्रो(In Greek called Nekros) इसका मतलब मरा हुआ (Corpse or dead) और फिलिया (Philia : Friendship) मतलब दोस्त या आकर्षण। यानी शव के प्रति आकर्षण। ऐसी विकृति मिश्र में कई सदियों पहले भी होने के प्रमाण मिले हैं। वहां मरी हुई सुंदर महिला के शव को चार से पांच दिनों तक रखा जाता था। भारत ही नहीं पूरे विश्व में इस तरह की बीमारी से ग्रसित लोगों की संख्या भी बहुत है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस बीमारी से ग्रस्त होने में 10 से 15 साल लग जाते हैं। अचानक कोई भी इंसान इससे पीडि़त नहीं होता। जब वह सेक्स करने में असफल हो जाता है तो उसे सोच-सोच कर परेशान हो जाता है। सुरेंद्र कोली के मामले में भी ऐसा ही कुछ था। शादी के बाद से वह परेशान रहने लगा। उसकी इच्छा थी, लेकिन असमर्थ था। ऐसे में जब वह अक्सर मोनिंदर सिंह को पंधेर की हरकत को देखता था तब उसकी इच्छा और बढ़ जाती थी। यही वजह है कि वह अपनी हवस को शांत करने के लिए बच्चों को ही बुला लेता था। क्योंकि उसे इस बात का डर रहता था कि ज्यादा उम्र की लड़की उससे सहमत नहीं होगी।

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