10 जनवरी 2010

ऐसे खुला पायल के गायब होने का राज़....

पायल के साथ ही उसका मोबाइल फोन भी गायब था। उसकी कॉल डिटेल से कोई सुराग नहीं मिला। इसलिए उस मोबाइल फोन को यूज करने वाले शख्स का पुलिस पता लगाने लगी। सर्विलांस में माहिर सब इंस्पेक्टर विनोद पांडे ही इसका पता लगा रहे थे। बात 21 दिसंबर 2006 की रात लगभग 9:20 बजे की बात है। इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस की मदद से पायल के गायब मोबाइल फोन का आईएमईआई नंबर (नंबर 355352003845870) चलने की जानकारी हुई। इस आईएमईआई नंबर को यूज करने वाले का पता लगाया गया। जानकारी मिली कि बरौला निवासी राजपाल उस मोबाइल फोन यूज कर रहा है। इस पते पर पुलिस की एक टीम पहुंची। उससे मुलाकात हुई। उसने बताया कि मोबाइल फोन में यूज किया हुआ सिमकार्ड मेरे नाम पर खरीदा गया है लेकिन उसका प्रयोग संजीव गुर्जर कर रहा है। पुलिस तत्काल संजीव के पास पहुंची। थोड़ी देर में ही उसके पास से मोबाइल फोन बरामद हो गया। पुलिस ने उससे कड़ाई से पूछताछ की। यह सोचकर अब पायल का कातिल उनके हत्थे चढ़ गया। लेकिन जब संजीव ने बताया कि उसने एक रिक्शे वाले से फोन खरीदा था तो पुलिस हैरत में पड़ गई। चूंकि रिक्शा वाला उस रास्ते से ही अपने घर जाता था। इसलिए उसके बारे में पुलिस को जानकारी मिल गई। आखिरकार, पुलिस रिक्शा चालक सतलरे के पास पहुंच गई। उसने पूछताछ में बताया कि पिछले महीने एक युवक उसके रिक्शे पर बैठकर सेक्टर-26 से निठारी सेक्टर-31 तक आया था। इस दौरान उसका मोबाइल फोन रिक्शे पर छूट गया। इसलिए उसे मैने अपसे रख लिया और बाद में बेंच दिया। इस तरह मोबाइल रखने वाले को लेकर सस्पेंस एक बार से बरकरार रहा।

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