10 जनवरी 2010

निठारी...........

निठारी। अब भी आपके दिलोदिमाग में अच्छे से याद होगा। आगे भी याद रहेगा। क्योंकि अभी इसमें बहुत कुछ होना बाकी है। फैसला आना बाकी है। कई फैसले आ भी चुके हैं। लेकिन अंतिम फैसले का इंतजार हम, आपको ही नहीं देश के बाहर मौजूद लोगों को भी है। आखिर उन दो आरोपियों को क्या सजा मिले। मैं मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली के लिए आरोपी शब्द का प्रयोग करना ही उचित समझ रहा हूं। यहां पर हैवान, नरपिशाच.... जैसे शब्दों का प्रयोग करना नागवार समझता हूं। माना कि दोनों पर रूह को कंपा देने वाले आरोप हैं। लेकिन वो दोनों भी हम जैसे इंसानों की बस्ती के बीच से ही निकलकर आए हैं। हमारे समाज से तालुक्कात रखते हैं। लिहाजा, कहीं न कहीं, उनके अंदर भी पहले इंसानियत रही होगी। जो बाद में हैवानियत (जैसा कि अब तक इनके लिए प्रयोग किया गया) में बदल गई। खैर, यहां हम आपको यह बताना चाहते हैं कि निठारी को मैने वर्ष 2005 से देखा है। इस केस के परत-दर-परत के बारे में मुझे पता है। जो शायद आम लोगों को नहीं पता है।
अक्सर मैं अपने घर या अन्य किसी जगह जाता हूं तो नोएडा में रिपोर्टिंग करने की जानकारी देते ही लोग बरबस ही पूछ लेते हैं कि आखिर क्या था निठारी कांड। आजकल आरुषि केस के बारे में भी पूछते हैं। आरुषि केस के बारे में भी मैं काफी अनछुए पहलू बताऊंगा लेकिन पहले निठारी।
उन लोगों को कुछ बताने से पहले मैं पूछता हूं कि आपकी नजर में क्या है निठारी कांड। नौकर और मालिक, आखिर आपकी नजरों में कौन है ज्यादा दोषी। अब यही सवाल मैं आपसे भी पूछता हूं। कौन है दोषी? शायद यही जवाब मिलेगा, दोनों। सच भी है। लेकिन पूरी तरह से नहीं। अब आप चौंक गए होंगे। आखिर यह क्या कह रहा है। लेकिन सच यही है। यहां मैं किसी के पक्ष और खिलाफ की बात नहीं कर रहा हूं। बल्कि हकीकत बयां कर रहा हूं। रिपोर्टिंग के दौरान और अब भी जब कभी मैं खबर लिखता हूं तो दोनों के खिलाफ जहर उगलता हूं। क्योंकि अगर ऐसा नहीं करते हैं तो पाठक कहेगा कि पत्रकार भी सरदार मोनिंदर से मिल गया। लेकिन यहां एक लाइन में आपको बता दूं कि वाकई में जब कभी निठारी के डी-5 कोठी में बच्चों का कत्ल हुआ उस दौरान मोनिंदर सिंह विदेश में था। सीबीआई की जांच में यह सच्चाई सामने आई है।
मोनिंदर सिंह की कॉल डिटेल मेरे पास है। जब कभी निठारी में बच्चों के कत्ल हुए उसका मोबाइल फोन लगातार कई दिनों तक बंद रहा है। इस पर मैने अपनी रिपोर्टिंग के दौरान एक्सक्लूसिव खबर की थी। उसमें लिखा था कि मोनिंदर सिंह पंधेर खास पैर्टन पर बच्चों का कत्ल करता था। वह घटना से एक या दो दिन पहले ही अपना मोबाइल फोन बंद कर लेता था ताकि किसी को उसके बारे में जानकारी नहीं मिले और वह शातिराना तरीके से घटना को अंजाम दे। लेकिन वाकई में उस दौरान मैं गलत था। सच्चाई, सीबीआई ले आई है। और वही हकीकत है। लेकिन हम मीडिया वाले इसे गलत करार देते हैं। क्योंकि इसे आसानी से पचाया नहीं जा सकता है। और आप पचा भी नहीं पाएंगे।

3 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

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rakesh ने कहा…

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Vyk65 ने कहा…

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मीडिया प्रेशर में मालिक व नौकर को बराबर को आरोपी बनाया गया

निठारी कांड के दौरान प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में लगातार हैवानियत, नर पिशाच जैसे शब्दों का प्रयोग मालिक व नौकर के लिए प्रयोग किया जा रह...